Puja Path Niyam: सनातन धर्म पूजा के बाद आरती का विशेष महत्व होता है। आरती को ईश्वर के प्रति प्रेम और कृतज्ञता करने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। मंदिर हो या घर आरती के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। मान्यताएं हैं पूजा के बाद की गई आरती में इतनी शक्ति होती है जिससे भक्तों की सारी इच्छा पूरी होती है। आरती करने से आसपास का माहौल सकारात्मक होता है। बुरी शक्तियों से छुटकारा मिलता है। आरती करते समय कुछ नियमों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। विधि-विधान के साथ आरती न करने पर बुरे प्रभाव पड़ सकते हैं । ग्रंथों और पुराणों में आरती से जुड़े खास नियमों का वर्णन किया गया है। आइए इन नियमों पर एक नजर डालें-
ऐसे दीपक का करें इस्तेमाल
पंचमुखी ज्योति या सप्तमुखी ज्योति से आरती करना सबसे अच्छा माना जाता है। आरती के दौरान संखनाद और घंटी का इस्तेमाल करना शुभ होता है।
जमीन पर कभी न रखें दीपक
कल्कि पुराण के अनुसार अनुसार आरती के दीपक को कभी भी धरती पर नहीं रखना चाहिए। ऐसा करने से धरती का ताप बढ़ता है। दीपक को हमेशा थाली या आसन पर रखें। दीपक जलाने के बाद अपने हाथों को जरूर धोएं।
दिशा का रखें ख्याल
आरती करते समय दीपक का मुख पूर्व दिशा की ओर होने से आयु में वृद्धि होती है। उत्तर दिशा में दीपक का मुख होने से धन-धान्य में वृद्धि होती है। दक्षिण और पश्चिम दिशा में दीपक का मुख करके आरती करना अशुभ माना जाता है।
इन धातु के दीपक और थाली का करें इस्तेमाल
आरती की थाल हमेशा पीतल, चांदी या तांबा की होनी चाहिए। थाली में चावल, चंदन, फूल, फल, मिठाई, कुमकुम गंगाजल रखें। चांदी, पीतल मिट्टी और आटे के दीपक का इस्तेमाल करें।
इन बातों को रखें याद
- आरती कभी भी बैठकर नहीं करनी चाहिए।
- हमेशा दाएं हाथ से आरती करें ।
- आरती के बीच चीखना , चिल्लाना और बोलना शुभ नहीं माना जाता।
- आरती के बीच दीपक का बूझना भी अनुचित होता है।
- कभी भीआरती की थाली उल्टी ना घुमाएं। इसे हमेशा दक्षिणावर्त यानि घड़ी की चाल की तरह घुमानी चाहिए।
- आरती करते समय घी के दीपक में कपास की बाती और तिल के तेल में लाल मौली की बाती रखना शुभ माना जाता है
(Disclaimer: इस आलेख का उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी साझा करना है, जो ग्रंथों, मान्यताओं और विभन्न मान्यताओ पर आधारित है। MP Breaking News इन बातों के सत्यता और सटीकता की पुष्टि नहीं करता।)