इन लोगों को मिलता है राजयोग का सुख, जीवनभर नहीं होती धन की कमी

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grah gochar Rajyog

Rajyog : अधिकतर लोगों की जिंदगी में काफी ज्यादा संघर्ष होते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो जन्म के वक्त से ही अपनी किस्मत लिखवा कर लेकर आते हैं। दरअसल जन्म से ही उन व्यक्तियों की कुंडली में कुछ ऐसे योग होते हैं जो उनके जीवन को बिल्कुल भी परेशानियां झेलने नहीं देते हैं। उनका जीवन आराम, शान और शौकत से गुजरता है।

ऐसे में कहा जाता है कि वह जातक जन्म से ही अपनी कुंडली में राजयोग के साथ पैदा होते हैं। ऐसे लोगों के पास कभी भी धन की कमी नहीं होती ना ही उनके जीवन में कोई दुख आता है। वह जहां कदम रखते हैं सफलता उनके कदम छूने लगती है। अगर आप भी इन्हीं में से एक है तो आपकी कुंडली में भी राजयोग जरूर होगा।

ज्योतिषियों की माने तो राजयोग वह होता है जो सुख समृद्धि के अलावा बहुत बड़ी सत्ता और जिस के आदेश का पालन लोग करते हैं। इसे सभी लोगों का राजा माना जाता है। ज्योतिष में करीब 32 प्रकार के राजयोग बताए गए हैं। हालांकि यह 32 राज्यों किसी की कुंडली में एक साथ नहीं मिलते हैं। अगर यह सभी एक ही कुंडली में मिल जाए तो जातक चक्रवर्ती विश्व विधाता होता है।

आज हम आपको 4 ऐसे राजयोग के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे आर्थिक स्थति मजबूत होती है। साथ ही इन योग की वजह से व्यक्ति को ख्याति प्राप्त होती है। व्यक्ति में नेतृत्वकारी गुण आते हैं। हमेशा मां लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है। चलिए जानते हैं इन 4 योग के बारे में –

ये है 4 दो Rajyog 

पराशरी राज योग

केंद्र और त्रिकोण भावों का जब भी आपस में संबंध होता है तब कुंडली में पराशरी राजयोग का निर्माण होता है। ये राजयोग जातकों को जीवन में खूब खुशियां प्रदान करवाता है। इतना ही नहीं व्यक्ति आर्थिक रुप से मजबूत होता है, समाज में ऐसे व्यक्ति को ख्याति प्राप्त होती है। मां लक्ष्मी की कृपा भी हमेशा जातकों पर बनी रहती है।

अखंड राज योग

अखंड साम्राज्य योग एक ऐसा दुर्लभ राज योग है जो अगर व्यक्ति की कुंडली में बनता है तो उसे अच्छा अच्छा शासक बना देता है। इतना ही नहीं इस योग वाले व्यक्तियों को खूब धन दौलत मिलती है। यह राज योग तब निर्मित होता है जब कुंडली के लग्न से मजबूत बृहस्पति द्वितीय, पंचम या एकादश भाव का स्वामी होता है। वहीं जब चंद्रमा से केंद्र में द्वितीय, नवम या एकादश भाव के स्वामी का स्वामित्व होता है तो अखंड साम्राज्य योग का निर्माण होता है। ऐसे में इन जातकों को हमेशा सुख सुविधाएं प्राप्त होती है। ऐसे लोग बड़े राजनेता भी हो सकते हैं।

धन योग

धन राजयोग का निर्माण तब होता है जब प्रथम, द्वितीय, पंचम, नवम और एकादश भाव के स्वामी ग्रह आपस में युति बनाते हैं या फिर एक दूसरे पर दृष्टि डालते हैं। तब इसका निर्माण होता है। ये राजयोग लोगों को धनि बना देता है। इस योग वाले व्यक्ति बहुत धन कमाते हैं। माता लक्ष्मी की भी ऐसे जातकों पर विशेष कृपा बनी रहती है।

अधि योग

अधि योग का निर्माण तब होता है जब कुंडली में चंद्रमा से बुध, बृहस्पति और शुक्र ग्रह षष्ठम और अष्ठम भाव में स्थित होते हो। चंद्रमा के स्थान पर यदि लग्न से षष्ठम, सप्तम और अष्टम भाव में शुभ ग्रह स्थित हों तो इस राज योग का निर्माण होता है। इस राज योग के चलते व्यक्ति में नेतृत्वकारी गुण आते हैं।

डिस्क्लेमर – इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।


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Ayushi Jain

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