Premanand Maharaj: जब भी मन में कोई उलझन चलती रहती है, तो कहा जाता है कि प्रेमानंद जी महाराज की बातें सुन लेना चाहिए, अक्सर लोग अपने मन में चल रहे कई कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए और सही मार्गदर्शन पर चलने के लिए प्रेमानंद जी के पास पहुँचते हैं वहाँ अपने मन में उठ रहे सवालों को महाराज जी के सामने रखते हैं.
ऐसे ही एक बार एक व्यक्ति के द्वारा पूछा गया की महाराज जी ऐसा क्यों होता है, कि जो लोग बुरा काम करते हैं उनके साथ हमेशा अच्छा होता है और जो लोग अच्छा काम करते हैं उनके साथ हमेशा बुरा होता है.
क्या सच में अच्छा करने वालों के साथ होता है बुरा?
इसका जवाब देते हुए प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि ऐसा नहीं है, उन्होंने कहा कि जीवन की रचना दो तरीक़े से हुई है, जब हमारा शरीर रचा गया, तो दो तरीकों से रचना हुई है, एक पाप और पुण्य के लिए, दोनों के मिश्रण से इंसान बनता है.
मृत्युलोक में जितने भी देह है, वे सब दो हैं पाप और पुण्य, महाराज जी ने उदाहरण देते हुए बताया कि जिस प्रकार एक कुत्ता गली में डंडे खाता हुआ फिरता है, तो वहीं दूसरा कुत्ता गाड़ी में ऐसी में बैठा हुआ नज़र आता है. इस उदहारण से पाप और पुण्य का संयोग देखा जा सकता है.
पूर्व पुण्य और पाप का संयोग
उन्होंने आगे बताया कि एक आदमी है कि बहुत मेहनत कर रहा है, ईमानदारी से अपने सारे काम कर रहा है, धर्म पुण्य का काम करने के बावजूद भी उसके जीवन में सुख नहीं है, वहीं दूसरी तरफ़ जो व्यक्ति बेईमानी कर रहा है, मन में उल्टे विचार ला रहा है, इसके बावजूद वह सूखी है, इन दोनों बातों में पूर्व पुण्य और पाप का संयोग है.
महाराज ने कहा कि वर्तमान की खेती धर्म है, वह धर्म से चल रहा है, लेकिन उसकी पुरानी खेती तो पाप हैं. यही कारण है कि वर्तमान में उस व्यक्ति को धर्म करते हुए दुख प्राप्त हो रहा है. वही इसके विपरीत जो व्यक्ति वर्तमान में बुरे काम कर रहा है, लेकिन उसकी पुरानी खेती पुण्य है, यही कारण है कि वह वर्तमान में पाप करने के बावजूद भी ख़ुश हैं.
अच्छे कर्मों का फल अच्छा ही मिलेगा
महाराज ने कहा कि ऐसा नहीं है कि वर्तमान का पाप उस व्यक्ति को गिराएगा नहीं, बल्कि धीरे-धीरे पूरी तरह से नष्ट कर देगा, भले ही उस व्यक्ति को अभी ऐसा लग रहा होगा कि ग़लत करने के बावजूद भी उसके पास पर्याप्त धन है और वह सुखी है लेकिन धीरे-धीरे नष्ट हो जाएगा उसे पता भी नहीं चलेगा. और इसके विपरीत वर्तमान में जो अच्छे काम कर रहा है पुण्य कमा रहा है, उसके साथ भले ही अभी आज कुछ अच्छा न हो रहा होगा लेकिन धीरे-धीरे उसके साथ सब कुछ अच्छा ही अच्छा होगा.
पूरा संसार इन 4 चीजों के पीछे भाग रहा है
महाराज ने यह भी कहा कि पूरा जो संसार है, वह कुछ चीज़ों के लिए ही जी रहा है, रहने को बढ़िया घर मिल जाए, खाने को रोटी मिल जाए, पहनने को कपड़े मिल जाए, और समाज में वाहवाही हो जाए. पूरे संसार में हर इंसान सिर्फ इन चार चीज़ों के पीछे भाग रहा है.
इन चीज़ों को पाने के लिए ही हर व्यक्ति मेहनत कर रहा है. इन सब चीज़ों को और भी आसानी से पाया जा सकता है अगर व्यक्ति धर्म का मार्ग अपनाएं. धर्म का मार्ग अपनाना शुरू-शुरू में थोड़ा मुश्किल ज़रूर लग सकता है, लेकिन धीरे-धीरे यह मन मस्तिष्क को जो ख़ुशी देता है वह ख़ुशी कहीं और नहीं मिल सकती है.