Viral Video : मोमबत्ती बुझाने वाला यंत्र, 182 साल पहले होता था इस्तेमाल

Automatic Candle Extinguisher : आज के समय अगर हमारे यहां लाइट चली जाती है तो फट से इनवर्टर या जेनरेटल शुरु हो जाता है। जिनके यहां ये सुविधा नहीं है, वे भी इमरजेंसी लाइट जला लेते हैं। और कुछ न हो तो फिर टॉर्च और मोबाइल की लाइट तो है ही। लेकिन आज से कई दशक पहले जब ये साधन नहीं थे तो आग ही रोशनी का प्रमुख जरिया थी। और आग को कभी लालटेन, दीया या फिर मोमबत्ती में जलाकर प्रकाश किया जाता था।

मोमबत्ती बुझाने वाला यंत्र

अब रोशनी करने का तरीका तो ढूंढ लिया, लेकिन रोशनी बुझाना हो तो क्या ? जाहिर सी बात है सामान्यतया तो ये काम मुंह से फूंककर ही किया जाता था। लेकिन आज हम आपके लिए लेकर आए हैं मोमबत्ती बुझाने वाला एक यंत्र। जी हां..ये इतना सुंदर और कमाल का है जिसे देखकर आप भी उस समय की तकनीक का लोहा मान जाएंगे। आखिर इसीलिए तो कहा गया है कि आवश्यकता अविष्कार की जननी है।

182 साल पहले होता था इस्तेमाल

ये एक क्लिप ऑन तकनीक का डिवाइस है जिसे 1841 में बनाया गया था। इसे मोमबत्ती पर चढ़ाकर उस जगह तक फिक्स कर दिया जाता, जहां तक मोमबत्ती जलनी चाहिए। जैसे ही मोमबत्ती की लौ इस डिवाइस तक पहुंचती, उसकी पकड़ ढीली होती और वो अपने आप बंद हो जाता। इस तरह से मोमबत्ती बुझ जाती और किसी को उठकर उसे बुझाने की जहमत भी नहीं करनी पड़ती। भले ही ये एक यंत्र हो जिसे मोमबत्ती बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन इसपर कमाल तराशा गया है। इसपर बनी डिजाइन बेहद सुंदर है और इसे देखकर यकीन हो जाता है कि आज से 182 साल पहले भी कितनी शानदार वस्तुएं इजाद की गई हैं। हालांकि ये वीडियो कुछ समय पहले ट्विटर पर Rescue & Restore नाम के अकाउंट से शेयर किया गया था लेकिन अब तेजी से वायरल हो रहा है। इसे अब तक करीब तीन लाख लोग देख चुके हैं और हजारों लाइक मिल चुके हैं।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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