नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को खत्म कर दिया है। अदालत ने अपने एक फैसले में गर्भपात को कानूनी रूप से मंजूरी देने वाले 50 साल पुराने फैसले को पलट दिया, जिसके बाद से देश के अलग-अलग शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए है।
महिलाएं सड़कों के साथ-साथ सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ अपनी प्रतिक्रियाएं दे रही है। अमेरिका में ट्विटर पर #Abstinence और #SexStrike ट्रेंड कर रहा है। महिलाओं का कहना है कि गर्भपात का कानूनी अधिकार जारी रहना चाहिए और इसके लिए पुरुष भी उनका साथ दे।
लेकिन इस बीच महिलाएं पुरुषों की प्रतिक्रिया से नाराज हो गई है। उनका कहना है कि यदि आप एक पुरुष हैं और महिलाओं के अधिकारों के लिए सड़कों पर नहीं उतर सकते है, तो आप उनके साथ यौन संबंध बनाने के लायक नहीं हैं।
Celibacy is about to become popular #sexstrike pic.twitter.com/DhAMRhjC1W
— VICTORY (@kaur_jeeto) June 26, 2022
इस दौरान स्थानीय निवासी 22 साल की इवेंट कोऑर्डिनेटर कैरोलिन हीली ने कहा, “क्या पुरुषों के लिए महिलाओं के अधिकारों से ज्यादा महत्वपूर्ण सेक्स है?” वहीं एक रेप पीड़िता ने कहा, “महिलाओं को अपने अधिकारों को वापस पाने के लिए कानूनी दायरे में रहकर सबकुछ करने की जरूरत है। हम यहां बैठकर उन महिलाओं/लड़कियों के दर्द के बारे में कल्पना भी नहीं कर सकते जो रेप के बाद प्रेग्नेंट हो जाती हैं। अगर दुनिया यह सोचती है कि वो हमेशा महिलाओं पर अत्याचार कर सकते हैं तो ये ठीक नहीं है।”
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कानून को लेकर ट्विटर पर छिड़ा युद्ध
कोर्ट का फैसला आने के बाद और पुरुषों की तरफ से समर्थन ना मिलने की स्थिति में महिलाओं की तरफ से देश में ट्विटर पर #SexStrike के साथ कैम्पेन चलाया गया। उक्त हैशटैग पर 50 हजार से अधिक ट्वीट किए जा चुके है। एक महिला यूजर ने गने लिखा, “अगर हमारी पसंद को नकारा जाता है तो आपकी भी पसंद को नकारा जाएगा।”
एक अन्य महिला ने लिखा, “हम अनचाही गर्भावस्था का जोखिम नहीं उठा सकते इसीलिए अब हम किसी भी पुरुष के साथ यौन संबंध नहीं रखेंगे, चाहे वो हमारा पति ही क्यों ना हो, जब तक कि हम खुद प्रेग्नेंट होना नहीं चाहें।”
इसके साथ ही ट्विटर पर #Abstinence भी ट्रेंड हुआ। दरअसल, Abstinence का मतलब होता है सेक्स नहीं करना, संयमी बनना।
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आपको बता दे, सुप्रीम कोर्ट के फैसले की देश के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी निंदा की है। बाइडन ने कहा है कि इस फैसले ने महिलाओं के स्वास्थ्य और जीवन को खतरे में डाल दिया है।