भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में वैसे तो 28 सीटों पर उपचुनाव (By-election) होना है, लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण इंदौर जिले की सांवेर विधानसभा सीट (Sanver Assembly Seat) मानी जा रही है। इस सीट पर दोनों दलों भाजपा और कांग्रेस के लिए नाक का सवाल बनी हुई है। एक तरफ जहां भाजपा (BJP) से संभावित प्रत्याशी तुलसी सिलावट (Tulsi Silavat ) मैदान में है, जो कि ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के कट्टर समर्थक माने जाते है और वर्तमान में शिवराज सरकार (Shivraj government) में कैबिनेट मंत्री है। वही दूसरी तरफ भाजपा से पाला बदलकर कांग्रेस में शामिल हुए प्रेमचंद गुड्डू (Premchand Guddu) है। इतना ही नही बसपा (BSP) ने भी अपना दांव चला है और विक्रम सिंह गहलोत (Vikram Singh Gehlot) को उम्मीदवार बनाकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।
वैसे तो इंदौर भाजपा का गढ़ माना जाता है, लेकिन हर बार सांवेर की सीट पर कमल खिलाना भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है, हालांकि इस पर एक बार भाजपा एक बार कांग्रेस जीतती आई है, लेकिन इस बार तुलसी सिलावट के भाजपा और प्रेमचंद गुड्डू के कांग्रेस में शामिल होने के बाद समीकरण एक दम से बदल गए है। वही बसपा के उम्मीदवार को उतारने के बाद मुकाबला रोचक हो चला है। सिलावट की जीत राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan), भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) समेत इंदौर के दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा का सवाल है, चुंकी सिलावट शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री है। वही प्रेमचंद गुड्डू की जीत भी कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के लिए बड़ी चुनौती है, ऐसे में विधानसभा क्षेत्र को चुनाव खर्च के लिहाज से संवेदनशील माना जा रहा है, चुनाव आयोग को आशंका है कि यहां पानी की तरह पैसा खर्च किया जा सकता है ।
यहां निगरानी के लिए 70 दलों का गठन किया है। इनमें फ्लाइंग स्क्वॉड, वीएसटी, एसएसटी आदि शामिल हैं। आयोग ने प्रत्याशियों द्वारा प्रचार के दौरान उपयोग किए जाने वाले मास्क, सैनिटाइजर आदि को भी चुनाव खर्च में शामिल किया है। इस पूरे सीन को देखते हुए कहा जा सकता है कि ये चुनाव ना सिर्फ भाजपा-कांग्रेस बल्कि सिलावट और गुड्डू के भविष्य को भी तय करेगा।
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इन मुद्दों पर चुनाव लड़ने की तैयारी
सांवेर विधानसभा के मुद्दो की बात करे तो यहां किसान कर्ज माफी एक बड़ा मुद्दा है । भाजपा जहां किसानो की कर्ज माफी में धोखा दिये जाने पर कांग्रेस को घेरने में जुटी है।वही कांग्रेस भाजपा में जाने वालो को गद्दार बताकर वोट बंटोरने की जुगत में है, हालांकि तुलसी सिलावट का विनम्र स्वभाव और सहज उपलब्धता उन्हे क्षेत्र में लोकप्रिय बनाती है। अभी तक भाजपा से उनके खिलाफ कोई बड़ा नाम खुलकर बगावत पर नही उतरा है , ऐसे में पहले भाजपा और फिर कांग्रेस में आये प्रेमचंद गुड्डु के लिए सांवेर में लोगो से जुड़ना एक बड़ी चुनौती है । बसपा ने भी इस रिजर्व सीट पर अपना प्रत्याशी उतारकर पिछड़े वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी कर ली है। ऐसे में सांवेर का सिरमौर कौन होगा , इस पर अब सभी की निगाहे जा टिकी है।
पिछले चुनावों का रिकॉर्ड
पिछले चुनाव की बात करे तो 2008 में कांग्रेस के तुलसी सिलावट ने यहां पंजे के निशान पर कांग्रेस को जीत दिलाई थी और 2013 में बीजेपी के राजेश सोनकर ने एक पलटवार करते हुए सांवेर में कमल खिलाया दिया था, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस में रहे तुलसी सिलावट ने एक बार फिर कांग्रेस की वापसी करवाई और भाजपा प्रत्याशी को मात दे दी, लेकिन अब समीकरण पूरी तरह से बदल गए है। कभी कांग्रेस के दिग्गज सूरमा में शामिल तुलसी सिलावट अब भाजपा में शामिल हो गये है, ऐसे में सांवेर में मुकाबला अब बड़ा रोचक हो चला है।
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इंदौर जिले की सांवेर विधानसभा क्षेत्र
- संभाग- इंदौर
- सीट एससी प्रत्याशी के लिए रिजर्व
- कुल 2 लाख 64 हजार 271 मतदाता
- 1 लाख 35 हजार 523 पुरूष
- 1 लाख 28 हजार 746 महिला
- ट्रांसजेंडर वोटर 6