सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के दावों की खुली पोल, मौत पर भी नहीं संजीदा, परिजनों का हंगामा

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर जिला प्रशासन और जयारोग्य अस्पताल (JAH) का सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) लगातार ये दावे कर रहा है कि यहाँ कोरोना मरीजों के लिए व्यवस्थाएं बेहतर हैं, मरीजों को अच्छा इलाज दिया जा रहा है, लेकिन सोमवार को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) के बाहर की जो तस्वीर सामने आई उसने इन दावों की पोल खोल कर रख दी। सुपर स्पेशलिटी (Super Specialty Hospital) अस्पताल के बाहर कोरोना मृतकों के परिजन भटकते मिले, किसी को उनके परिजन की डेड बॉडी नहीं दी जा रही, तो किसी से कहा जा रहा है कि तुम्हारा पेशेंट भर्ती ही नहीं हुआ। किसी को अचानक कह दिया गया कि उनके परिजन की मौत हो गई। परेशान परिजनों ने हंगामा कर दिया जिसके बाद प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। इस सबके बावजूद सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) प्रबंधन उन यहाँ बेहतर व्यवस्थाएं होने का दावा करता रहा।

ग्वालियर में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच कुछ और मरीजों की मौत की जानकारी सामने आई। कोरोना मरीजों के इलाज के लिए डेडिकेटेड जयारोग्य अस्पताल समूह के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) में भर्ती छह और मरीजों ने दम तोड़ दिया।  हद तो तब हो गई ज़ब अस्पताल प्रबंधन की गैर संजीदगी सामने आई। मृतक के परिजन डेड बॉडी के लिए भटकते रहे लेकिन सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) के कर्मचारी उन्हें यहाँ से वहां भगाते रहे।  ऐसा एक मृतक के परिजन के साथ नहीं हुआ सोमवार को ये घटना खबर लिखे जाने तक छह लोगों के साथ हुई।

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) प्रबंधन की बदइंतजामी से परेशान सुशीला देवी अग्रवाल के परिजन मुकेश अग्रवाल का कहना था कि सुबह साढ़े पांच बजे फोन कर कह दिया कि आपके मरीज की मौत हो गई अब मैं पांच छह घंटे से डेड बॉडी के लिए परेशान हूँ लेकिन कोई सुन नहीं रहा। मृतक भवानी शंकर के बेटे ने 10 अप्रैल को पिता को भर्ती कराया  दो दिनों में कोई अपडेट नहीं दिया आज सुबह कह दिया कि मौत हो गई लेकिन बॉडी कहाँ है नहीं बता रहे। मृतक कॉन्ट्रेक्टर राकेश कुमार जैन के परिजन भी परेशान थे उनका कहना था कि कल से कोई अपडेट नहीं दिया और अब कह दिया कि मौत हो गई। लकिन बॉडी कहाँ है कोई नहीं बता रहा।

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रामवीर सिंह चौहान ने रविवार को अपने पिता वीरेंद्र सिंह चौहान को भर्ती कराया था आज सोमवार को सुबह कह दिया  कि  मौत हो गई लेकिन बॉडी नहीं दे रहे।  अजय अग्रवाल अपनी सासू मां की डेड बॉडी के लिए भटकते  दिखाई दिए. उन्हें 7 -8 दिन पहले भर्ती कराया था।  अब कोई  सुन ही नहीं रहा , डेड बॉडी कहाँ है पता नहीं।  समाधिया कॉलोनी निवासी मृतक कन्हैयालाल की कहानी बिलकुल अलग है।  उनके बेटे ने बताया कि अस्पताल के मुताबिक उन्हें उनके नंबर पर फोन कर बता दिया कि कन्हैयालाल की मौत हो गई जबकि उनके पास कोई फोन ही नहीं आया। अब जब पूछा कि किसने फोन किया तो कोई बताने वाला नहीं है।  उन्हें तो ये भी नहीं पता चल रहा कि उनका पेशेंट जिन्दा है कि मर गया।  उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि एक ही नंबर पर तीन कन्हैयालाल के नाम दर्ज हैं कोई बता ही नहीं पा रह कि मरा कौन है ?

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के दावों की खुली पोल, मौत पर भी नहीं संजीदा, परिजनों का हंगामा

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के दावों की खुली पोल, मौत पर भी नहीं संजीदा, परिजनों का हंगामा

जब परिजनों को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) से डेड बॉडी नहीं मिली तो उन्होंने जमकर हंगामा किया। हंगामे के बीच सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) के अधीक्षक डॉ गिरिजा शंकर अपनी बात कहते रहे और कहते रहे कि उनके यहाँ बेहतर इलाज हो रहा है बेहतर व्यवस्थाएं हैं सफाई में उन्होंने इतना कहा कि एम्बुलेंस की व्यवस्था होते ही सबको डेड बॉडी दे दी जाएगी।  उधर एसडीएम अनिल बनवारिया भी मौके पर  पहुँच गए उन्होंने सबकी बात सुनने के बाद मीडिया से कहा कि यहाँ एक ही एम्बुलेंस है वो डेड बॉडी छोड़ने गई है उसके वापस आते ही शेष डेड बॉडी भिजवा दी जाएँगी । उन्होंने कहा कि एम्बुलेंस की कमी के कारण गफलत हुई हैं जल्दी है एक और एम्बुलेंस की व्यवस्था जाएगी।

बहरहाल सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) के दावों और हकीकत में कितना अन्तर है ये इन घटनाओं ने बता दिया। खास बात ये है कि ये हालात तब हैं जब एक दिन पहले ही रविवार को ऊर्जा मंत्री और कोरोना के लिए ग्वलियर के प्रभारी मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बैठक लेकर प्रशासन को बेहतर इलाज और व्यवस्थाओं के लिए निर्देश दिए थे फिर मीडिया के सामने आकर भरोसा दिलाया था कि ग्वालियर में व्यवस्थाएं बिलकुल ठीक है और जहाँ कमी है उसे दूर करेंगे। लेकिन ये सब देखकर लगता नहीं है कि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) प्रबंधन पर मंत्री जी के निर्देश का कोई असर हुआ है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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