भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (madhya pradesh) में प्राइवेट स्कूल (private school) संचालकों ने आंदोलन का ऐलान किया है। प्राइवेट स्कूल के संचालकों का कहना है कि कोरोना काल में बंद किए गए प्राइवेट स्कूल अब तक नहीं खोले गए हैं। जिसके कारण प्राइवेट शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े लोगों का भविष्य संकट में पड़ गया है। इसके साथ ही प्राइवेट स्कूल संचालकों ने शिवराज सरकार (shivraj government) को 5 दिनों की मोहलत दी है। संचालकों का कहना है कि 5 दिन के अंदर यदि सरकार स्कूलों को व्यवस्थित ढंग से खोलने का कोई फैसला नहीं लेती है तो वो सीएम हाउस (CM House) का घेराव करेंगे।
दरअसल प्राइवेट स्कूल संचालकों का कहना है कि इतने दिनों से प्राइवेट स्कूलों को बंद रखने के बाद आज कोई भी निजी शैक्षणिक संस्थान अपने स्टाफ को वेतन देने के योग्य नहीं रहा। जो कहीं ना कहीं उनके भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है। स्कूल संचालकों का कहना है कि प्राइवेट स्कूल को खोलने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है जैसे शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े 30 लाख परिवार का भविष्य संकट में पड़ गया है।
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प्राइवेट स्कूल संचालकों ने यह भी आरोप लगाया है कि सरकार इस मुद्दे पर कुछ भी सोचने को तैयार नहीं है। जिसके कारण हमें सख्त कदम उठाने पड़ रहे है। स्कूल के संचालकों का कहना है कि अगर 14 दिसंबर तक स्कूल को व्यवस्थित और पर खोलने की कोई अनुमति नहीं दी गई तो प्राइवेट स्कूल ऑनलाइन क्लासेज (Online Classes) बंद कर देंगे और 14 दिसंबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj singh chauhan) के निवास का घेराव करेंगे।
निजी स्कूलों की प्रमुख मांग
वहीं निजी स्कूल संचालकों ने कहा कि यदि सरकार कोरोना काल में स्कूलों को खोलने पर राजी नहीं है तो उन्हें हमारी 10 मांगें माननी पड़ेगी। जिसमें स्कूल से जुड़े स्टाफ (Staff) का वेतन का खर्च सरकार उठाएं या फिर प्राइवेट स्कूलों को दो करोड़ रुपए तक का लोन दिया जाए। जिससे कि स्टाफ का वेतन चुकाया जा सके। इसके अलावा बिजली, पानी और अन्य करों में प्राइवेट स्कूल को रियायत दी जाए ताकि निजी स्कूलों के खर्च पर अंकुश लगे।
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प्राइवेट स्कूल संचालकों का कहना है कि प्रदेश में जब मॉल, बाजार, सार्वजनिक स्थान, सिनेमाघर जैसे को खोलने की अनुमति दी है तो शैक्षिक संस्थानों को खोलने में रुचि क्यों नहीं दिखा रही। इसके साथ ही प्राइवेट स्कूल संचालकों का कहना है कि सरकार प्रदेश के 74 हज़ार से अधिक प्राइवेट स्कूलों से जुड़े लोगों के साथ अन्याय कर रही है। इसके अलावा बच्चों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ करते नजर आ रही है।
जनरल प्रमोशन को बंद करें सरकार
इसके साथ ही निजी स्कूल के संचालकों का कहना है कि सरकार जनरल प्रमोशन (General promotion) जैसी चीजों को बंद करें। जनरल प्रमोशन की बात से ऑनलाइन क्लासेज के जरिए पढ़ने वाले छात्रों में 50 फीसदी उपस्थिति की कमी देखी गई है। वही बच्चों का पढ़ने में मन भी नहीं लग रहा है। इसकी वजह से स्कूल का खुला जाना जरूरी है ताकि बच्चे पढ़े और उनकी परीक्षा ली जा सके।
वहीं संचालकों का कहना है कि 10 माह से स्कूल बंद होने की वजह से संस्थान से जुड़े लोगों के जीवन में कठिनाई की स्थिति बन गई है। जबकि राज्य शासन इस विषय में कुछ भी फैसला नहीं ले रही है। निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि यदि सरकार अपनी मनमानी बंद नहीं करती है और संस्थानों को खोलने की अनुमति नहीं देती है तो मजबूरन एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल सहित निजी स्कूलों को कड़ा फैसला लेना होगा।