चुनावी प्रचार से वसुंधरा की दूरी, बुआ के गढ़ में सिंधिया की एंट्री, सियासी अटकलें तेज

Kashish Trivedi
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश की राजनीति में उलटफेर के सूत्रधार बने ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) अब बुआ वसुंधरा राजे (vasundhara raje) के क्षेत्र में अपनी पैठ जमाने पहुंच रहे हैं। दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया सहाड़ा सीट पर हो रहे विधानसभा उपचुनाव (Assembly by-election) के लिए स्टार प्रचारक नियुक्त किए गए थे।

जहां आज सहाड़ा (भीलवाड़ा ) सीट पर विधानसभा उपचुनाव के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया सभा करने पहुंचे हैं। दरअसल सहाड़ा विधानसभा सीट पर सिंधिया परिवार का पुराना रिश्ता रहा है। जिसके बाद यहां की जनता का वोट अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी (bjp) द्वारा वसुंधरा राजे सिंधिया को सहाड़ा में सभा करवाना था लेकिन वसुंधरा राजे सिंधिया की तरफ से अब तक प्रचार को लेकर कोई सहमति नहीं आई है। वसुंधरा राजे सिंधिया द्वारा लगातार चुनाव सभा से दूरी बनाई जा रही है। जिसके बाद अब बीजेपी ने वसुंधरा राजे की जगह उनके भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रचार मैदान में उतार दिया है।

बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया आज दोपहर गंगापुर में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। ज्ञात हो कि गंगापुर क्षेत्र और ग्वालियर के सिंधिया राजघराने का पुराना नाता रहा है। गंगापुर सहाड़ा क्षेत्र के कई गांव ग्वालियर रियासत के अधीन आते थे। जहां शुरू से सिंधिया परिवार का वर्चस्व लोगों के बीच में रहा है। वही यहां के लोगों में सिंधिया परिवार को लेकर एक अलग ही नजरिया और दलील देखने को मिलती है। जानकारी के मुताबिक मेवाड़ राजघराने की बेटी गंगाबाई भी ग्वालियर की बहू थी। ऐसी स्थिति में सिंधिया परिवार के लोगों द्वारा इस जगह पर चुनावी सभा को संबोधित करने का मतलब यहां की जनता को बीजेपी के पक्ष में करना है।

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ऐसी स्थिति में बीजेपी वसुंधरा राजे सिंधिया से प्रभाव वाले क्षेत्र में प्रचार करवाना चाह रही थी लेकिन वसुंधरा राजे के इस सीट पर प्रचार न करने के कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे थे। जिसके बाद अब बीजेपी ने तुरुप का इक्का खेलते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को बुआ वसुंधरा राजे के क्षेत्र में सभा करवाने के पक्ष में तैयार कर लिया है। वहीँ कुछ लोगों के मत के मुताबिक ज्योतिरादित्य सिंधिया को वसुंधरा राजे के विकल्प के तौर पर भी देखा जा रहा है।

अब इस क्षेत्र में उपचुनाव के बाद की स्थिति का तो फिलहाल पता नहीं लेकिन सिंधिया के वर्षो पुराने वर्चस्व को देखते हुए ही माना जा रहा है कि बीजेपी अपने वोट बैंक को बनाने में सफल रही है। वही ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रचार अभियान के बाद इसका कितना फायदा बीजेपी को मिलता है। यह तो वक्त ही बताएगा।


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