RBI Monthly Bulletin: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 20 दिसंबर को मासिक बुलेटिन को जारी कर दिया है। जिसमें कोरोना के बाद बढ़ती महंगाई का कारण भी बताया गया है। साथ ही देश और विदेश के आर्थिक विकास की जानकारी भी दी गई है। बुलेटिन ने कहा कि ग्लोबल इकनॉमिक ने जिस तरह से सख्त रुख अपनाते हुए कर्ज महंगा किया है उसका खामियाजा 2023 में भुगतेगी। साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में खतरा भी बरकरार है। इतना ही नहीं इसमें यह भी कहा गया कि डिफ़ॉल्ट रेट में वृद्धि और अमेरिकी डॉलर में सराहना के साथ लोन का संकट बढ़ता नजर आ रहा है।
2024 तक एशिया में उभरेगी अर्थव्यवस्था
क्योंकि देश के बाहर पूंजी जानें के साथ आर्थिक विकास दर में गिरावट और महंगाई का नुकसान डेवलपिंग इकॉनॉमिक वाले देश पर हो सकता है। आगे सेंट्रल बैंक ने यह भी कहा कि 2024 में ज्यादातर देशों में हल्की रिकीवरी होने के अनुमान भी है। एशिया की उभरती इकॉनोमी दुनिया के विकास का इंजन बन सकती है। 2023 में वैश्विक विकास में करीब तीन-चौथाई हिस्सा और 2024 में तीन-पाँचवाँ हिस्सा एशिया का होगा। आरबीआई ने मुद्रास्फीति की गिरावट को अर्थव्यवस्था के लचीलेपन और विकास में सुधार होने का संकेत बताया है।
महगाईं के लिए जिम्मेदार कौन?
मंथली बुलेटिन में आरबीआई ने रूस-यूक्रेन के युद्ध और रिवेंज रिबाउन्ड को महंगाई का जिम्मेदार बताया है। केन्द्रीय बैंक के मुताबिक देश में शुरुआती मुद्रास्फीति दवाब आपूर्ति से जुड़े हटकों के कारण था, लेकिन जैसे-जैसे इसका प्रभाव कम हुआ, लोगों जबरदस्त तरीके से खर्च यानि रिवेंज रिबाउन्ड करना शुरू कर दिया है, जिसके कारण आज भी महंगाई बढ़ी हुई है। आगे यह भी कहा कि सब्जियां सस्ती होने से मुद्रास्फीति में गिरावट आई। लेख के मुताबिक रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति पक्ष के झटकों ने खुदरा मुद्रास्फीति को RBI के 6 फीसदी स्तर से ऊपर कर दिया था। दूसरी तरफ नवंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति गिरावट के साथ 5.9 फीसदी पर पहुँच चुकी थी।