जयपुर, डेस्क रिपोर्ट। शासकीय कर्मचारी (Employees) सहित डॉक्टर और शिक्षकों द्वारा भी रिटायरमेंट आयु (Retirement Age) को बढ़ाए जाने की मांग तेज है। दरअसल विश्व के कई देशों सहित भारत में भी सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाने के मांग पर फिलहाल केंद्र सरकार और राज्य सरकार के पास मांग पत्र भेजे गए हैं। इसी बीच कई मामला हाईकोर्ट (High court) में भी लंबित है। वहीं हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में रिटायरमेंट आयु को 2 वर्ष बढ़ाने का आदेश दिया है। जिससे शासकीय कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। वही इसका फायदा हजारों आयुर्वेद चिकित्सकों (Ayurveda doctors) को होगा।
दरअसल राजस्थान हाईकोर्ट ने आयुर्वेद चिकित्सकों के रिटायरमेंट की उम्र 62 वर्ष करने का फैसला दिया है। अदालत ने यह फैसला डॉक्टर महेश कुमार शर्मा की याचिका पर दिया है। बता दे जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस शुभा मेहता की बेंच द्वारा बड़े निर्देश देते हुए कहा गया कि सेवानिवृत किए गए आयुर्वेद चिकित्सकों की उम्र यदि 62 साल से कम है तो उन्हें वापस सेवा में लिया जाए और यदि उनकी उम्र 62 साल हो गई है तो उन्हें इसका लाभ अदा किया जाए।
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दरअसल डॉक्टर महेश शर्मा और अन्य की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता तनवीर अहमद ने कोर्ट में दलील पेश की। अभिनव शर्मा, तनवीर अहमद सहित अन्य ने दलील देते हुए कहा कि पूर्व में एलोपैथी डॉक्टर की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष रखी गई थी। हालांकि राजस्थान सर्विस रूल्स के नियम 56 में 31 मार्च 2016 को संशोधन किया गया। जिसमें एलोपैथिक चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु को 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दिया गया।
हालांकि आयुर्वेद चिकित्सकों के रिटायरमेंट उम्र में कोई परिवर्तन नहीं किया गया। जिसके बाद महेश कुमार शर्मा की ओर से रिटायरमेंट की उम्र 60 से बढ़ाकर एलोपैथिक डॉक्टर की तर्ज पर 62 वर्ष करने के लिए राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। वही वकील ने दलील पेश करते हुए सुप्रीम कोर्ट का हवाला दिया। जिसमें कहा गया था कि एनडीएमसी बनाम डॉक्टर रामनरेश मामले में आयुर्वेद चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु भी 62 साल करने की मंजूरी दी गई है। वहीं चिकित्सा पद्धति के आधार पर सेवानिवृत्ति आयु में अंतर नहीं रखा जा सकता। आयुर्वेद चिकित्सकों की रिटायरमेंट ऐज 62 वर्ष की जाए।
हालांकि इस मामले में AAG सीएल सैनी ने कहा कि अली फैजी डॉक्टर और आयुर्वेदिक डॉक्टर की सेवा-नियम नियुक्ति सहित योग्यता अलग-अलग होती है। इस आधार पर सेवानिवृत्ति आयु तय करने का अधिकार राज्य सरकार को है और राज्य सरकार इस पर नीतिगत निर्णय लेती है। जिस पर सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार द्वारा भेदभाव पूर्ण नीति को गलत ठहराया गया है और इस मामले में अदालत ने फैसला देते हुए आयुर्वेद चिकित्सकों को भी रिटायरमेंट उम्र बढ़ाकर 62 वर्ष करने के आदेश दिए हैं।