नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। देश में कोरोना (corona) ने हर तरफ त्राहि-त्राहि मचा दी है। अस्पताल (hospitals) में मौतों का सिलसिला जारी है और परिवार (family) लगातार टूटते जा रहे हैं। ऐसे में सरकार का विचार उन बच्चों की ओर गया है जिनके माता और पिता दोनों ही अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती हैं या फिर महामारी (pandemic) का शिकार हो चुके हैं। इस संबंध में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (women and child development ministry) ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (health and family welfare ministry) को पत्र लिखा है। इस पत्र में अनुरोध किया गया है कि अस्पताल और कोविड केयर सेंटर में भर्ती होने वालों से जो फॉर्म भरवाया जाता हैं उसमें एक और कॉलम शामिल हो जिसमें उन्हें बताना हो कि उनकी गैर मौजूदगी में बच्चों का ख्याल कौन रखेगा।
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देश के मौजूदा हालात किसी से छुपे नहीं हैं। प्रतिदिन मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है इसी के चलते कई बच्चे अनाथ हो रहे हैं और उनकी देख-रेख करने के लिए कोई नहीं रहता। ऐसे में उनकी दुर्दशा हो रही है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव राम मोहन मिश्रा ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय सचिव को पत्र लिखकर ऐसे बच्चों को मुसीबत से बचाने की बात लिखी है। पत्र में स्वास्थ्य सचिव से अनुरोध किया गया है कि वे राज्य स्वास्थ्य सेवा विभाग के माध्यम से अस्पतालों और कोविड केयर सेंटर को निर्देश दें। वे निर्देशित करें कि अस्पतालों या कोविड केयर सेंटर में भर्ती होते वक़्त भरे जाने वाले फॉर्म में एक कॉलम और शामिल किया जाए। इसमें माता-पिता की गैर मौजूदगी में बच्चों की देख रेख कौन करेगा, उस व्यक्ति का नाम रिश्ता और फ़ोन नम्बर लिखा जाए। पत्र में ये भी लिखा गया कि अनाथ हो गए बच्चों की जानकारी अस्पताल चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को भी भेजे ताकि सुचारू रूप से काम हो सके।
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मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को कहना है कि ये कदम बच्चों के हित में उठाया गया है। जो माता-पिता इमरजेंसी में अस्पताल में एडमिट होने आते हैं उनके बच्चे घर पर ही छूट जाते हैं और कोई दुर्घटना होने पर वे अकेले रह जाते हैं। ऐसे में उनकी दुर्दशा होना तय है। गलत लोग इस मौके का फायदा उठा कर इन बच्चों का भविष्य खराब कर सकते हैं।