Important News : फैटी लिवर की है शिकायत तो तुरंत बदलें ये आदतें, जानें क्या खाना है सही और क्या हैं परहेज।

Gaurav Sharma
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हेल्थ, डेस्क रिपोर्ट। एक उम्र के बाद अगर खान पान की आदतों में बदलाव नहीं हुआ तो आप अलग अलग बीमारियों के शिकार हो सकते हैं, ऐसी ही एक बीमारी है फैटी लिवर। इस बीमारी में, जैसा कि नाम से ही जाहिर है लिवर की तकलीफ का सामना करना पड़ता है। इसमें लिवर पर फैट की परत जमने लगती है।

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फैटी लिवर होने के कई कारण हो सकते हैं, जिसका अंजाम भी घातक हो सकता है। इसलिए ये जान लेना जरूरी है कि इस रोग से बचने के लिए कैसी डाइट होनी चाहिए और किन चीजों से दूर रहना चाहिए। अगर माइल्ड फैटी लिवर है तो आपको बिना वक्त गंवाए खानपान में ये सावधानियां रखना जरूरी है.

क्यों होता है फैटी लिवर?

हमारी बॉडी में मौजूद सेल्स ग्लूकोज को एनर्जी में बदलने का काम करते हैं, कुछ लोगों के शरीर में इंसुलिन को बर्दाश्त करने की ताकत खत्म हो जाती है। आसान भाषा में कहें तो शरीर में इंसुलिन बनता तो है पर शरीर उसका सही इस्तेमाल नहीं कर पाता, जिसका नतीजा ये होता है कि ग्लूकोज बढ़ने लगता है और लिवर इसे फैट में बदल देता है। जिसका असर खुद लिवर पर भी पड़ता है। इसलिए डाइट में कम फैट वाली चीजें खाना ही फायदेमंद है।

आप क्या खा सकते हैं?

फैटी लिवर है तो ऐसे भोजन पर ज्यादा ध्यान दें जो फैट कम बढ़ाए, साथ ही शरीर में मौजूद फैट को पचाने में भी मददगार हो, इसके लिए ज्यादा प्रोटीन डाइट पर फोकस करें। आमतौर पर फैटी लीवर में डॉक्टर मछली या सीफूड खाने की सलाह देते हैं। इसके अलावा फलों का भी अच्छी मात्रा में सेवन करें। साबुत अनाज, ड्राईफ्रूट्स में बादाम खाएं, खाने का तेल बदलते रहें तो बेहतर होगा। लंबे समय तक एक ही तेल खाना हो तो ऑलिव ऑयल पर भरोसा कर सकते हैं। हरी सब्जियों को रोज अपनी थाली में शामिल करें। एवोकाडो भी फैटी लिवर में फायदेमंद होता है।

क्या खाने से बचें?

फैटी लिवर होने पर या उसके लक्षण नजर आने पर लीन मीट या रेड मीट खाना बिलकुल बंद कर दें। ऐसी खाने की वस्तुएँ जिनसे फैट बढ़ें मसलन फुल फैट मिल्क, चीज या दही, नारियल का तेल न खाएं. मीठे की मात्रा भी घटा दें. चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स, अल्कोहल भी खतरनाक ही साबित होगी।

ये काम न भूलें

फैटी लिवर होने पर वर्कआउट करना न भूलें, सबसे पहले वजन घटाएं उसके बाद एरोबिक्स या कोई हेवी वर्कआउट की आदत जरूर डालें।

Declaration : यह पोस्ट उपलब्ध जानकारी के आधार पर लिखा गया है, किसी भी प्रकार की अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श लें।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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