भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म में गाय को माता कहा गया है। पुराणों में धर्म को भी गौ रूप में दर्शाया गया है। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्ममा जी ने सृष्टि की रचना की तो धरती पर सबसे पहले गाय को ही भेजा था। भगवान श्रीकृष्ण भी अपने हाथों से गौमाता की सेवा करते थे और इनका निवास भी गोलोक बताया गया है। यहां तक की गाय को कामधेनु के रूप में सभी इच्छाओं कामनाओं की पूर्ति करने वाला भी बताया गया है।
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भविष्य पुराण के अनुसार माना गया है कि गाय में तीनों लोक के 33 करोड़ देवी-देवता विद्यमान हैं। ब्रह्मा जी और विष्णु भगवान गाय के सींग के निचले भाग में वास करते हैं तो मध्य भाग में भोलेनाश शिवशंकर का निवास है। गौमाता के ललाट में मां गौरी व नासिका भाग में भगवान कार्तिकेय का वास माना जाता है। ये भी मान्यता है कि जो व्यक्ति गौसेवा करता है, गौमाता उसके पापों को अपनी सांस के जरिए खींच लेती है और उस व्यक्ति को पाप से मुक्ति मिलती है। गाय जिस स्थान पर बैठती है वो स्थान भी पवित्र हो जाता है और वहां का वातावरण भी शुद्ध होता है। गाय का दूध मानव जाति के लिए अमृत समान है और इसीलिए इसे मां की उपाधि दी गई है।
गौमाता में सभी ईश्वर और देवी देवताओं का वास है इसलिए उन्हें पहली रोटी खिलाने का विशेष महत्व है। हमारे घरों में बनने वाली पहली रोटी अधिकतर गाय को खिलाई जाती है। मान्यता है कि पहली रोटी गाय को खिलाने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। भगवान को भोग लगाने के बाद हमेशा पहली रोटी गाय को समर्पित की जाती है और कहा जाता है कि इससे सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। घर में सुश समृद्धि आती है और जहां गौमाता की सेवा होती है उस घर के लोग हमेशा खुश रहते हैं और प्रगति करते हैं। बैठी हुई गाय को रोटी और गुड़ खिलाना बहुत शुभ माना जाता है। ये बात ध्यान रखें कि कभी भी गाय को सूखी रोटी नहीं देना चाहिए, उसके साथ गुड़ अवश्य दें।