मुंह में छिपाकर सेन्ट्रल जेल के अंदर ले जा रहे थे चरस, तीन सिपाही निलंबित

Atul Saxena
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उज्जैन, डेस्क रिपोर्ट।  उज्जैन की सेन्ट्रल जेल भैरवगढ़ (Central Jail Ujjain Bhairavgarh) में तीन सिपाहियों को चरस ले जाते जेल अधीक्षक ने रंगे हाथ पकड़ लिया। सिपाही मुंह बंद किये हुए थे, उन्होंने जेल अधीक्षक की बात का जब कोई जवाब नहीं दिया तो उन्हें शक हुआ। जेल अधीक्षक उषा राज ने जब सख्ती कर सिपाहियों के मुंह खुलवाये तो उसमें चरस की पुड़ियां निकली। जेल अधीक्षक ने तीनों सिपाहियों को सस्पेंड (three soldiers suspended) कर दिया है और मामले की जानकारी मुख्यालय को भेज दी है।

जानकारी के अनुसार सेन्ट्रल जेल भैरवगढ़ उज्जैन की अधीक्षक उषा राज रविवार शाम जेल के निरीक्षण पर थी।  निरीक्षण के दौरान उनका सामना सिपाही शाहरुख़, बलराम और यशपाल से हुआ। जेल अधीक्षक को सामने देखकर तीनों सिपाही सकपका गए। जब जेल अधीक्षक ने उनसे बात की तो सिपाहियों ने कोई जवाब नहीं दिया।  सिपाही अजीब तरह से मुंह बंद किये हुए थे।

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सिपाहियों की हरकत देखकर जेल अधीक्षक उषा राज को शक हुआ उन्होंने बात की तो सिपाही कुछ बोल नहीं रहे थे उसके बाद उन्होंने सख्ती करते हुए सिपाहियों के मुंह खुलवाए तो वे चौंक गई।  सिपाहियों के मुंह से चरस की पुड़ियां निकली। जेल अधीक्षक ने तीनों सिपाहियों को जमकर फटकार लगाई और चरस जब्त कर पंचनामा तैयार कर तीनों  सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया।

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जेल अधीक्षक ने तीनों सिपाहियों  की जानकारी जेल डीजी अरविन्द कुमार के पास भेज दी है।  सम्भावना है कि तीनों सिपाहियों को बर्खास्त कर दिया जाये।  पूछताछ में सिपाहियों ने बताया कि वे बाहर से 800 रुपये में चरस की पुड़िया लाते थे और अंदर बंदियों को 1500 रुपये में बेचते थे।  जेल अधीक्षक उषा राज अब इस बात का पता लगा रही हैं कि सिपाही बाहर से किससे चरस खरीदते थे इसके लिए उन्होंने पुलिस अधिकारी को पत्र लिखा है।  इसके अलावा अब जेल के सभी सिपाहियों की गतिविधियों पर भी नजर रखने की तैयारी की जा रही है।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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