Gwalior News : झाड़ी में पड़ी नवजात को खा रहीं थी चीटियां, पुलिस ने लगाया गले

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। बेटी को लक्ष्मी कहा जाता है लेकिन आज भी लोग ऐसे हैं जिनके लिए लड़की बोझ होती है और वे उसको उस अपराध की सजा देते हैं जो उस मासूम ने किया ही नहीं है। ग्वालियर (gwalior)में एक ऐसी ही नवजात को  पुलिस ने झाड़ियों से बरामद किया है जिसके शरीर को चीटियां काट रहीं थी। ग्वालियर पुलिस (gwalior police) ने मासूम को उठाकर गले से लगाया और फिर उसे इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया।

दरअसल ग्वालियर के महाराजपुरा थाना (maharajpura police station) क्षेत्र में किसी ने झाड़ियों में एक नवजात बच्ची के रोने की आवाज सुनी।  राहगीर ने तत्काल डायल 100 घुमाया और बच्ची के पड़े होने की सूचना दी। नवजात बच्ची के पड़े होने की सूचना पर राज्य स्तरीय पुलिस कंट्रोल रूम एक्शन में आया और उसने ग्वालियर में डायल 100 की FRV नंबर 16 को बच्ची के बारे में जानकारी देकर रवाना किया। और महाराजपुरा थाने के टीआई को भी सूचना दी।

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डायल 100 की FRV क्रमांक 16 में तैनात आरक्षक जसराम तोमर और पायलट प्रताप ने झाड़ियों में जाकर देखा तो नवजात बच्ची को पास जाकर देखा तो कपडे में लिपटी एक नवजात वहां पड़ी थी उसके शरीर पर चीटियां चिपकी हुई थी। पुलिस ने बच्ची के शरीर से चीटियों को हटाया और गले से लगाकर उसे अपने कब्जे में लिया और तुरंत जयारोग्य अस्पताल पहुंचकर उसे भर्ती कराया।  जहाँ बच्ची की इलाज चल रहा है।

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बहरहाल इस मासूम को उस माता पिता ने त्याग दिया जो उनके कलेजे का टुकड़ा थी लेकिन चूँकि ईश्वर ने बच्ची को जीवन दिया था तो इसकी जिंदगी बचाने ईश्वर ने एक अनजान व्यक्ति सूचना दने के लिए भेज दिया फिर पुलिस ने कम्युनिटी पुलिसिंग का बेहतर नमूना पेश कर इस बात को प्रमाणित किया कि पुलिस के पास भी दिल है जो की के कष्ट को देखकर उसकी तकलीफ महसूस का रसक्ता है।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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