Video : ABVP नेता ने कुलपति से की अभद्रता, बोले – “कुर्सी जाते देर नहीं लगेगी”

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP) के नताओं ने आज जीवाजी विश्वविद्यालय के  कुलपति के सामने ना सिर्फ अभद्रता नहीं की बल्कि उनको धमकी देते हुए कहा कि आप विद्यार्थी परिषद् को हलके में मत लो वरना आपकी कुर्सी जाते टाइम नहीं लगेगा।

जीवाजी विश्वविद्यालय (Jiwaji University Gwalior)का कल शनिवार को दीक्षांत समारोह है। विश्व विद्यालय प्रबंधन आज उसकी तैयारियों  को अंतिम रूप देने में लगा रहा, कुलपति प्रोफ़ेसर अविनाश तिवारी तय की गई जिम्मेदारियां की समीक्षा कर रहे थे और कार्यक्रम के मिनिट्स देख रहे थे।

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इस बीच अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कुछ छात्र नेता कुलपति के सामने पहुँच गए हुए तेज आवाज में उनसे बात करने लगे। ABVP नेता किसी बात पर इतने आक्रोशित थे कि उन्होंने कुलपति जैसे उच्च पद की मर्यादा को ताक पर रखते हुए कुलपति को धमकाते हुए कहा कि आप यहाँ गुंडागर्दी कर रहे हो , विद्यार्थी परिषद् को आप हलके में मत लो वरना  आपकी कुर्सी जाते टाइम नहीं लगेगा।

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बताया जा रहा है कि ABVP से जुड़े छात्र नेता लॉ डिपार्टमेंट में अपनी कोई बैठक करने की अनुमति मांग रहे थे जिसे विभागाध्यक्ष ने मना कर दिया। इससे छात्र नाराज हो गए। उसके बाद पांच छात्र नेता कुलपति से बात करने गए तो गार्ड ने उन्हें रोक दिया क्योंकि कुलपति दीक्षांत समारोह की तैयारियों की बैठक ले रहे थे। इससे छात्र नेता भड़क गए।

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इस घटनाक्रम के बाद ABVP छात्र नेता इकट्ठे होकर कुलपति के पास पहुँच गए। उन्होंने कहा कि हमें आपको फोन किये मैसेज किये लेकिन आपने कोई जवाब नहीं दिया ऊपर से आप गुंडागर्दी करोगे, अभद्रता करते हुए छात्र नेताओं ने कहा कि विद्यार्थी परिषद् 5 लोगों के साथ प्रदर्शन नहीं करती आप विद्यार्थी परिषद् को हलके में मत लो वरना आपकी कुर्सी जाते देर नहीं लगेगी।

छात्र इतने उत्तेजित थे कि अभद्रता करने वाले गार्ड को तत्काल हटाने की मांग पर अड़ गए और कुलपति से  अभद्रता करने लगे। कुलपति ने कहा कि गुस्सा क्यों होते हो , दीक्षांत समारोह आपका ही है, हम  गार्ड पर एक्शन ले रहे हैं।  लेकिन छात्र नेता इस बात पर अड़े रहे कि या तो हमें बैठक करने की परमिशन दो नहीं तो लिखकर दो। फिर हम कल बताएँगे।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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