मुरैना, संजय दीक्षित। मुरैना (morena) में वन विभाग (Forest department) के अधिकारियों की लापरवाही बड़ी सामने आई है। जिसमें वन विभाग के रिटायर कर्मचारी ओमप्रकाश शांडिल्य के सपने अधूरे रह गए। वे अपनी बच्ची के पीले हाथ करने से पहले ही इस दुनिया से अलविदा हो गए। बताया गया है कि रिटायर कर्मचारी ओमप्रकाश शांडिल्य एक साल पहले सेवानिवृत्त हो गए थे। लेकिन उनके देयकों का भुगतान विभाग के द्वारा नहीं किया गया। कई बार मिन्नते भी की गई लेकिन विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों पर कोई भी असर दिखाई नहीं दिया गया। हर वक्त चिंता में रहते थे कि घर में जवान बेटी की शादी करनी है, पैसा घर में नहीं है, उसकी शादी कैसे की जाएगी।इसी को लेकर काफी चिंतित रहते थे। जिसके बाद उन्हें आज हार्टअटैक आया और उनकी दोपहर मौत हो गई।
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गौरतलब है कि ओमप्रकाश शांडिल्य का सपना था कि बेटी की शादी करने के बाद ही इस संसार से विदा हूं। लेकिन उनके सपने अधूरे रह गए। जिस विभाग के कर्मचारी ने जीवन भर अधिकारियों की दिन रात जी हजूरी की, उसी विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों ने रिटायरमेंट के बाद ओमप्रकाश से आंख फेर ली।यहां तक कि सेवानिवृत्त के बाद भी देयकों का भुगतान नहीं किया गया और पेंशन प्रकरण तक तैयार नहीं किए गए। घर में 2 जवान बेटी थी। जिनकी शादी करनी थी। शादी के लिए पैसा चाहिए था। पैसा विभाग नहीं दे रहा था। विभाग के कर्मचारियों से मिन्नतें की गई लेकिन विभाग के अधिकारियों पर कोई असर नहीं दिखा। मृतक ओमप्रकाश ऐसी सोच में जी रहे थे कि विभाग से भुगतान होगा, उसके बाद दोनों जवान बेटियों की शादी कर दूंगा। लेकिन उनके सपने अधूरे रह गए। बार-बार विभाग से भुगतान के लिए कहा गया लेकिन किसी ने भी उनकी एक न सुनी। हर रोज यही सोचते थे कि दोनों जवान बेटियों की शादी कैसे होगी अगर पैसा नहीं मिला तो क्या होगा। इसी बात को सोचते सोचते आज हार्ट अटैक आ गया और मुंह खुला रह गया। उसके बाद परिजन जिला अस्पताल लेकर गए जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वन विभाग के रिटायर ओमप्रकाश के चार बच्चे हैं। एक बेटा व तीन बेटियां हैं। बड़ी बेटी की शादी नौकरी में रहते ही कर चुके थे। बीच वाली बेटी की शादी करनी थी। शादी के लिए लड़का देख लिया था, लेकिन लड़के वाले कह रहे थे कि शादी कब करोगे। बेचारे बाप की मजबूरी यह थी कि इतना पैसा भी नहीं था, कि बेटी के हाथ पीले किए जा सके। मजबूरी में शादी को टालते रहे। अगर किसी कर्मचारी से पैसे की बात करते तो कर्मचारी कहते कि इस कर्मचारी से बात करो उस कर्मचारी से बात करो। इसी तरह भटकाती रहते थे, लेकिन विधाता को कुछ और ही मंजूर था। जवान बेटियों की सोचते सोचते उनकी आंखें बन्द हो गई और अपनी बेटी के हाथ पीले करने का सपना अधूरा रह गया। और इस संसार से विदा होकर चले गए।
वहीं सूत्रों का कहना है कि सेवानिवृत हुए करीब 20 कर्मचारियों का देयक अधर में लटका हुआ है। जिन्हें करीब 1 साल से अधिक सेवानिवृत्त हुए हो गए हैं। उनका भी विभाग ने भुगतान नहीं किया है। न हीं पेंशन प्रकरण बनाए गए हैं। बेचारे कर्मचारी अपने ही विभाग में अपने अधिकारियों के सामने अपने देयकों व पेंशन प्रकरणों के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं । इस पूरे मामले में डीएफओ अमित निकम का कहना है कि मृतक ओम प्रकाश शांडिल्य को क्लेम का कितना भुगतान हुआ है। इसकी मुझे जानकारी नहीं है। इतना मुझे मालूम है कि उसका पेंशन का प्रकरण नहीं बनाया गया था। मेरे सामने उसके पेंशन प्रकरण को पुट अप नहीं किया गया, इसलिए इसमें जो भी विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही होगी उस कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई करूंगा।