इंदौर, आकाश धोलपुरे। इंदौर में बुधवार को राजबाड़ा से कलेक्टर कार्यालय तक कांग्रेसियों द्वारा राजनीतिक रैलियों को छूट और धार्मिक जुलूस पर प्रतिबंध के विरोध में उग्र प्रदर्शन किया गया था। हालांकि कांग्रेस द्वारा मौन रैली की परमिशन लेकर कलेक्टर ज्ञापन देने की बात की जा रही है। लेकिन इस पूरे मामले में मचे विवाद के बाद पुलिस ने कड़ा रुख अपनाते हुए 500 से ज्यादा कार्यकर्ताओं और नेताओं पर धारा 188 के तहत रावजी बाजार थाने में प्रकरण दर्ज किया गया। इतना ही नहीं शासकीय कार्य में बाधा के मामले में 200 लोगों पर धारा 353 का मामला दर्ज किया गया है। जिसके बाद इंदौर की राजनीति में उबाल आ गया है।
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दरअसल, कांग्रेस ने पहले ही जता दिया था कि वो जनआशीर्वाद यात्रा को लेकर कड़ा विरोध जताएंगे हालांकि बाद में विरोध मौन रैली के रूप में रहा लेकिन प्रदेश में कोविड-19 की गाइडलाइन चलते किसी भी धार्मिक आयोजन व रैली प्रदर्शन की अनुमति नहीं थी जिसके चलते कांग्रेस को विरोध का सहारा लेना पड़ा। वहीं विरोध प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया फिर वाटर कैनन से पानी भी मारा गया था जिसमें विधायक संजय शुक्ला सहित 10 कार्यकर्ताओं को चोटें आई। इसके बाद प्रशासन ने नेताओं को ज्ञापन देने बुलाया हालांकि पुलिस को कार्रवाई इसलियें करनी पड़ी क्योंकि कांग्रेस की मौन रैली को प्रशासन से अनुमति नहीं मिली थी। सीएसपी दिशेष अग्रवाल ने बताया कि प्रदर्शन के दौरान कई लोगो पर धारा 188 और 353 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।
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इधर, गुरुवार को कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला की अगुआई में डीआईजी को ज्ञापन सौंपकर धारा 353 को लेकर कांग्रेस ने विरोध जताया। विधायक संजय शुक्ला की माने तो आज तक के इतिहास में कभी भी किसी भी सरकार में विरोध प्रदर्शन के दौरान धारा 353 का प्रकरण दर्ज नही किया गया ऐसे में सवाल शिवराज सरकार पर उठ रहे है जो अनैतिक दबाव बनाकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर संगीन मामले दर्ज करवा रही है।
वहीं डीआईजी मनीष कपूरिया ने बताया कि गुरुवार को कांग्रेस द्वारा सौंपे गए ज्ञापन को लेकर पुलिस जांच करेगी। बता दे कि इंदौर में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की यात्रा को लेकर मचे बवाल पर अब कई सवाल उठ रहे है जिसको लेकर राजनीति चरम पर है और कांग्रेस इस मामले पर सरकार को घेरती नजर आ रही है।