ज्ञानवापी मस्जिद मामला : सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी जिला जज को ट्रांसफर किया केस, आदेश जारी

Atul Saxena
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज सुप्रीम कोर्ट (gyanvapi supreme court hearing) में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हिन्दू पक्ष और मुस्लिम पक्ष दोनों तरफ से दलीलें पेश की गई। जिसको सुनने के बाद तीन जजों की बेंच ने कहा कि इस मामले को वाराणसी जिला जज के पास भेजा जाये उनके पास 25 साल का लम्बा अनुभव है कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ये ना समझा जाये कि ये मामला निरस्त कर रहे हैं आपके लिए रास्ते खुले रहेंगे।

ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Masjid Case) पर सुप्रीम कोर्ट में तीसरी बार सुनवाई हुई। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने 51 मिनट चली सुनवाई में साफ शब्दों में कहा कि मामला हमारे पास जरूर है लेकिन पहले इसे वाराणसी जिला कोर्ट (Varanasi District Court)  में सुना जाए। कोर्ट ने 8 हफ्ते तक अंतरिम आदेश लागू रखने का निर्देश दिया।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ट्रायल कोर्ट को चलने से नहीं रोक सकते। शांति बनाए रखने के लिए संविधान में एक ढांचा बनाया गया है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि निचली अदालत को निर्देश देने के बजाय हमें संतुलन बनाना चाहिए। समाज के विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारा और शांति हमारे लिए सबसे ऊपर है, हमारा अंतरिम आदेश जारी रह सकता है।  इससे सब ओर शांति बनी रहेगी। पहले ट्रायल कोर्ट को मुस्लिम पक्ष की अपील, दलील और 1991 के उपासना स्थल कानून के उल्लंघन की अर्जी पर सुनवाई करने दें।

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अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ महत्वपूर्ण बातें कहीं। कोर्ट ने कहा कि शिवलिंग वाला स्थान सील रहे, नमाज पढ़ने से अभी किसी को नहीं रोका जाये, वुजू की व्यवस्था की जाये। मुस्लिम पक्ष द्वारा कोर्ट में पेश होने से पहले रिपोर्ट लीक होने पर आपत्ति को सही ठहराते हुए कोर्ट ने कहा कि इस रोका जाए।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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