उत्तरकाशी, डेस्क रिपोर्ट। कुमांऊ के बागेश्वर जनपद स्थित माउंट त्रिशूल का आरोहण करने गया नौसेना का एक पर्वतारोही दल एवलांच की चपेट में आ गया है। जानकारी के अनुसार इसमें पांच जवान और एक पोर्टर के लापता होने की सूचना मिल रही है। उत्तरकाशी स्थित नेहरू पर्वतरोहण संस्थान (निम) के रेस्क्यू टीम प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट के नेतृत्व में त्रिशूल चोटी के लिए रवाना हो गई है। कर्नल अमित बिष्ट का इस घटना पर बयान सामने आया है उन्होंने कहा कि उन्हें ये सूचना नेवी की एडवेंचर विंग से शुक्रवार की सुबह करीब 11 बजे मिली, जिसमें उन्होंने निम की सर्च एडं रेस्क्यू टीम से मदद मांगी थी।
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जानकारी के अनुसार नौसेना का दल करीब 15 दिन पहले 7120 मीटर ऊंची त्रिशूल चोटी के आरोहण के लिए गया था। त्रिशूल चोटी चमोली जनपद की सीमा पर स्थित कुमांऊ के बागेश्वर जनपद में स्थित है। इस चोटी के आरोहण के लिए चमोली जनपद के जोशीमठ और घाट के लिए पर्वतारोही टीमें जाती हैं। वायु सेना के पर्वतारोहियों की टीम भी घाट होते हुए त्रिशूल के लिए गई थी। तीन चोटियों का समूह होने के कारण इसे त्रिशूल कहते हैं।
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बताया जा रहा है कि शुक्रवार सुबह दल चोटी के लिए आगे बढ़ा। इसी दौरान हिमस्खलन हुआ है। इसकी चपेट में नौसेना के पर्वतारोही आए हैं। बताया जा रहा है कि पांच जवान के साथ ही एक पोर्टर भी लापता है। उत्तरकाशी से हेली के जरिये निम की सर्च एंड रेस्क्यू टीम रवाना हुई है। इस संबंध में निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बताया यह घटना शुक्रवार सुबह पांच बजे के करीब हुई है। त्रिशूल हिमालय की तीन चोटियों के समूह का नाम है, जो पश्चिमी कुमाऊं में स्थित हैं। यह उत्तराखंड राज्य के मध्य में बागेश्वर के निकट हैं।
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ये नंदा देवी पर्वत से पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम दिशा में 15 किलोमीटर दूर नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान को घेरते हुए शिखरों के समूह का दक्षिण-पूर्वी भाग है। इन तीन शिखरों के कारण ही इनका नाम हिन्दू भगवान शिव के अस्त्र त्रिशूल का नाम दिया गया है। मुख्य शिखर त्रिशूल-1 की ऊंचाई लगभग 7000 मीटर है। वही भारतीय नौसेना का कहना है कि हिमस्खलन में लापता पर्वतारोही और एक पोर्टर की खोज के लिए राहत-बचाव अभियान शुरू कर दिया गया है। अभियान में सेना, वायु सेना और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल का बचाव दल और हेलीकॉप्टर शामिल है।