Astrology 2024: हर साल 21 मार्च को सूर्य भूमध्य रेखा पर आ जाता है। जिस वजह से दिन और रात बराबर होते है। यानी इस दिन दोनों की अवधि 12-12 घंटे की रहेगी। इस तरह की स्थिति ज्यादातर 21 मार्च को ही बनती है। लेकिन जीवाजी वेधशाला उज्जैन के अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र प्रकाश गुप्त ने बताया इस बार ये भौगोलिक घटना 20 मार्च को होगी। बता दें इससे पहले भी साल 2016 और साल 2017 में भी ऐसा ही हुआ था। इन दोनों सालों में भी 20 मार्च को सूर्य भूमध्य रेखा पर आ गया था। इस खगोलीय घटना को वसन्त सम्पात भी कहा जाता है।
ग्रीष्म ऋतु की होगी शुरूआत
इस खगोलीय घटना के बाद से ग्रीष्म ऋतु की शुरूआत हो जाती है। इस दौरान सूर्य की किरणों की तीव्रता भी बढ़ती नजर आती है। जब सूर्य भूमध्य रेखा, कर्क रेखा और मकर रेखा पर होता है। तो क्रमश: मार्च विषुव, जून अयनांत, सितंबर विषुव, दिसंबर अयनांत नाम की चार सूर्य स्थितियां बनती है। इस बार ये स्थिति 20 मार्च को बन रही है। इस दिन भूमध्य रेखा पर खड़ा होने से सूर्य उसे सीधे अपने सिर के ऊपर दिखाई देगा और एक निश्चित समय के बाद उसकी परछाई शून्य हो जाएगी।
जानें किन जगहों से गुजरती है भूमध्य रेखा
दरअसल भूमध्य रेखा चौदह देशों से होकर गुजरती है। इस दौरान वो इन देशों के स्थल या जल से होकर जाती है। बताते चलें कि धरती की सतह पर अधिकतर भूमध्य रेखीय क्षेत्र समुद्रीय ही हैं। भूमध्य रेखा के आस-पास की जगहें अंतरिक्ष केंद्र की स्थापना के लिए अच्छे माने जाते है। यहीं वजह है कि गुयाना अंतरिक्ष केंद्र, कौरोऊ व फ्रेंच गुयाना का अंतरिक्ष केंद्र भूमध्य रेखा पर ही स्थित है।
बड़ा होने लगेगा दिन
वसन्त सम्पात के साथ ही सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध में प्रवेश कर लेता है। इसी के साथ ही दिन धीरे-धीरे बड़ा होने लगता है। तो वहीं रातें छोटी होने लगती हैं। इस साल 20 मार्च को मेष राशि में सूर्य भूमध्य रेखा पर आने के बाद अब उत्तरी गोलार्द्ध में प्रवेश करेगा। इस तरह की स्थिति 21 जून तक रहेगी। आप इस दिन सूर्य के गोलार्द्ध परिवर्तन को सीधे देख सकते है।