3 माह में 10 बांग्लादेशी युवतियां शैल्टर होम से फरार, आईजी बोले-अभिरक्षा में नहीं थीं

Atul Saxena
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इंदौर, आकाश धोलपुरे।  इंदौर के बाणगंगा थाना क्षेत्र की वृंदावन कालोनी में स्थित श्री गणेश बुजुर्ग आश्रम महिला उत्कर्ष संस्थान से 10 बांग्लादेशी युवतियां अब तक फरार हो चुकी हैं। दिलचस्प बात ये है कि युवतियां 2 – 2 माह के अंतराल में 3 – 3 के गुट में अलग – अलग तरकीबें अपनाकर भाग खड़ी हुई हैं। शैल्टर होम प्रबंधन ने इस मामले में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई है लेकिन इस मामले के सामने आने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं  क्योंकि ये वही युवतियां है जो गैरकानूनी तरीके से लाकर बंधक बनाकर रखी गई  थी  और उनसे जिस्मफरोशी से लेकर ड्रग पेडलर्स के रूप में काम कराया जाता था।

दरअसल, साल 2020 में एमडी ड्रग्स के मकड़जाल पर विजयनगर पुलिस ने शिकंजा कसा था और इसी मामले की जांच के दौरान विजयनगर थाना क्षेत्र के महालक्ष्मी नगर में स्थित एक होटल से 16 बंधक युवतियों को छुड़ाया गया था जिनमें से 10 युवतियां बांग्लादेश की निकली थी जो अवैध तरीके से बांग्लादेश भारत सीमा को पार कराकर लाई गई थी। वही 6 युवतियां अन्य राज्यों की थी। इसके बाद बांग्लादेशी युवतियों को बाणगंगा क्षेत्र के शैल्टर होम में रखा गया था। इस बीच कोरोना की पहली लहर आई और फिर इस साल दूसरी लहर आई।

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दूसरी लहर के बीच एक के बाद एक सभी युवतियां अलग – अलग ग्रुप बनाकर शैल्टर होम से भाग गई। बताया जा रहा है कि युवतियों को जिस्म फरोशी के लिए पहले कोलकाता बाद में मुम्बई और फिर डिमांड आने पर अन्य शहरों में भेज दिया जाता था और ऐसे ही 10 युवतियां भी इंदौर लाई गई थी। जानकारी के मुताबिक ड्रग्स माफिया सागर जैन उर्फ सैंडो से युवतियां जुड़ी हुई थी। हालांकि इस मामले में जिम्मेदारों के अलग अलग विरोधाभासी बयान सामने आ रहे हैं जिसके चलते युवतियों के फरार होना किसी तिलिस्म से कम नहीं माना जा सकता है। क्योंकि आने वाले महीनों में युवतियों के बयान होना हैं लिहाजा, अब पुलिस के लिए सभी युवतियों को ढूंढ निकालना एक बड़ी चुनौती होगी।

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शैल्टर होम में प्रबंधन का जिम्मा डॉ. नेहा शर्मा का है तो दूसरी और केयर टेकर और काउंसलर के रूप में दिव्यांग महेश शर्मा के पास जिम्मेदारी रहती है। बाणगंगा पुलिस के उपनिरीक्षक स्वराज डाबी ने बताया कि शैल्टर होम के केयर टेकर ने युवतियों की गुमशुदगी की शिकायत बाणगंगा थाने में दर्ज कराई है। पुलिस की माने तो लंबे समय से युवतियां शैल्टर होम में थी और 10 बांग्लादेशी युवतियों की गुमशुदगी दर्ज है और सभी का बांग्लादेश का पता ही दिया गया है। पुलिस ने बताया कि एक डेढ़ महीने के अंतराल में युवतियों की गुमशुदगी दर्ज हुई है और पुलिस सभी की तलाश में जुट गई है।

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वही शैल्टर होम के केयर टेकर महेश शर्मा की माने तो 3 लड़कियां हाल ही में बिना बताए चली गई जिनकी गुमशुदगी दर्ज कराई गई है। उन्होंने बताया कि अब तक 9 युवतियां शैल्टर होम से जा चुकी है और साढ़े तीन महीने में युवतियां 3 – 3 के गुट में गई है। हाल में जो युवतियां गई है उन्होंने गेट पर किसी के नहीं होने का फायदा उठाया और भाग निकली। वही इसके पहले युवतियां शैल्टर होम से कूदकर भागी थी और उसके पहले साड़ी बांधकर भी जा चुकी है। महेश शर्मा ने बताया कि युवतियों का आश्रम के प्रति अच्छा व्यवहार था। वही उन्होंने अहम बात ये बताई की शैल्टर होम पर 2 – 2 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगी रहती थी और समय समय पर शैल्टर होम में पुलिस अधिकारी भी आते थे।

इधर, इस संवेदनशील मामले पर इंदौर आईजी हरिनारायणचारि मिश्रा ने साफ किया कि साल 2020 में किये गए रेस्क्यू मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं की गई थी और युवतियां वैधानिक प्रकिया व पुलिस अभिरक्षा में नहीं थी। उन्हें शैल्टर होम में सुरक्षित तरीके से रखा गया था जहां से उनके जाने की सूचना है। पुलिस उनको तलाश करेगी क्योंकि पुलिस को आने वाले दिनों जो ट्रॉयल चलेगा उसमे उनके बयानों की जरूरत पड़ेगी। पुलिस निश्चित तिथि के पहले वापस लेकर आएगी ताकि सही समय पर उनके बयान कराए जा सकें। आईजी ने कहा कि वो युवतियां गिरफ्तार नहीं की गई थी पुलिस अभिरक्षा में नहीं थी लिहाजा उन्हें रहने के लिए बाध्य नही किया जा सकता लेकिन उन्हें सरंक्षण में रखा गया था। वही आईजी ने ये भी साफ किया शैल्टर होम में परंपरागत रूप से जो गार्ड लगते थे वो ही रहते थे और युवतियां पुलिस अभिरक्षा में नहीं थी और मौके 10 महिलायें जा चुकी है।

हालांकि इस पूरे मामले में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के अलावा जिस्मफरोशी और प्रताड़ना से लेकर अवैध रूप से सीमा पार कराने के मामले में सुनवाई होना है लिहाजा, अब पुलिस के लिए बड़ी चुनौती ये है कि वो किसी भी हालत में युवतियों को ढूंढ निकाले नही तो पुलिस की मुश्किलें बढ़ सकती है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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