बिजली कर्मचारी व इंजीनियर 10 अगस्त को करेंगे काम का बहिष्कार, ये है कारण

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना।  केंद्र सरकार द्वारा लाये जा रहे इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 के विरोध में देश भर के 15 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर 10 अगस्त को एक दिन कार्य का बहिष्कार करेंगे।  मध्यप्रदेश में भी इसका असर दिखाई देगा।  मध्यप्रदेश के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर भी 10 अगस्त को कार्यालय नहीं जायेंगे और कार्य का बहिष्कार करेंगे।

बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति,  नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज एन्ड इंजीनियर्स (एनसीसीओईई) के आह्वान पर देश भर के 15 लाख बिजली कर्मचारी व इंजीनियर 10 अगस्त को एक दिन सम्पूर्ण कार्य का बहिष्कार करेंगे और विरोध प्रदर्शन करेंगे। विद्युत कर्मचारी यूनियन नेता एलके दुबे ने रविवार को पत्रकारों को जानकरी देते हुए कहा कि  केंद्र सरकार इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल बहुत जल्दबाजी में ला रही है हमारी मांग है कि इसे संसद की बिजली मामलों की स्टैंडिंग कमेटी में पहले रखा जाये।

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उन्होंने कहा कि इस बिल के लागू हो जाने क बाद बिजली वितरण के लिए लायसेंस लेने की शर्त ख़त्म हो जाएगी जिसका परिणाम ये होगा कि जनता को महँगी बिजली मिलेगी।  उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस बिल के जरिये बिजली का निजीकरण करने जा रही है  जो देश के गरीबों के हित में नहीं है।  कर्मचारी नेता ने कहा कि इस बिल के लागू होने का सबसे ज्यादा नुकसान संविदा कर्मचारी और आउट सोर्स कर्मचारियों पर होगा, उनकी नौकरी को खतरा हो जायेगा।

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कर्मचारी यूनियन नेता दुबे ने कहा कि मध्यप्रदेश के बिजली कर्मचारी अपनी समयों को लेकर नवम्बर 2020 से लगातार सरकार के साथ पत्राचार का रहे हैं, हमने मानव अधिकार आयोग, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री सबको पत्र लिखे हैं।  ऊर्जा मंत्री प्रद्युम सिंह तोमर ने पिछले दिनों आश्वासन दिया था कि 15 जुलाई तक मांगों पर विचार कर उचित निर्णय लिया जाएगा लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ इसलिए अब 9 अगस्त की रात 12 बजे से सभी बिजली कर्मचारी और इंजीनियर अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लेंगे और 10 अगस्त को कार्य का बहिष्कार करेंगे, ऑफिस नहीं आएंगे।  उन्होंने कहा कि यदि सरकार फिर भी नहीं मानती तो फिर तीन दिन के लिए कार्य का बहिष्कार किया जायेगा।  उसके  बाद अनिश्चितकालीन हड़ताल होगी।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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